लोग सुहागरात कभी नहीं भूलते और दुल्हन को ही दर्द होता है, पर मैं मर्द होकर भी मेरी सुहागरात में Meri Pehli Chudai के समय सबसे ज्यादा दर्द मैंने महसूस किया
मेरा नाम ऋषि है मैं छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव से हूँ। आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा शीर्षक है!
ये भी कोई शीर्षक है? लेकिन ये शीर्षक मेरे और मेरी बीबी सरिता के पहले सम्भोग की गवाह है, जिसे जब तक जिन्दा हूँ कभी भूल नहीं पाउँगा।
इस क्षण को अनुभव करवाने के लिए अपनी बीबी सरिता का मैं हमेशा आभारी रहूँगा। मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से सम्बंधित हूँ।
गाँव का होने की वजह से देखने में मेरा शरीर ह्रिस्ट पुष्ट और तंदरुस्त है, शक्ल सूरत से भी ठीक ठाक हूँ।
मेरी यह कहानी मेरी और मेरी बीबी सरिता की है। जो कि बहुत ही दिलचस्प और बिल्कुल सच्ची है।
मेरा दावा है कि इस सच्ची घटना को पढने के बाद सम्भोग में आपकी रूचि और बढ़ जाएगी।
मेरी बीबी सरिता बहुत ही गोरी, खूबसूरत और गाँव की होने की वजह से वो भी गठीले शरीर की मालकिन है क़यामत लगती है।
जिस समय हमारी शादी हुई ,मेरी उम्र 21 साल और सरिता 17 साल की थी, और क़यामत लगती थी, और आज भी जैसी की तैसी दिखती है।
वैसे हमने प्रेमविवाह किया था। शादी से पहले हमने कभी सम्भोग नहीं किया था, हमें पता नहीं था कि सम्भोग कैसे किया जाता है।
उत्तेजना तो होती थी, लेकिन कभी करने का मौका नहीं मिला, बस उसके उरोजो को दबाया था और चूमा था।
मैं और सरिता बहुत ही उतावले थे शादी करने के लिए। वो दिन भी आ ही गया, जिसका हमें बेसब्री से इंतज़ार था।
कहानी को ज्यादा लम्बा न करते हुए मैं सीधे सुहागरात पर आता हूँ, शादी के दुसरे दिन हम लोगों को अपना कमरा दिया गया।
रात हुयी, सरिता कमरे में पहले से पहुँच गयी थी। मैं भी अन्दर गया, सरिता लाल साड़ी में सज धज कर तैयार बैठी थी।
सीअफएल की दुधिया रोशनी में क़यामत लग रही थी, मैं तो उसे देखता ही रह गया इतनी खूबसूरत लग रही थी।
हालांकि, मैं आपको शब्दों में नहीं बता सकता, लाल साड़ी में लिपटा हुआ उसका गोरा बदन। जी तो कर रहा था की तुरंत जाऊं और उसे पकड़ लूँ।
चूँकि, सम्भोग के मामले में जल्दीबाजी ठीक नहीं होती, इसलिए मैंने अपने आप पर काबू किया, क्योकि अब सरिता तो मेरी ही थी।
तो क्यों न आराम से सम्भोग किया जाये। मैं सरिता के नजदीक गया और मै भी बिस्तर पर बैठ गया।
उसके दोनों कंधो को पकड़ा, और एक सोने की अंगूठी उसे उपहार स्वरुप दिया।
सरिता बोली- इसकी क्या जरूरत थी हम दोनों जो चाहते थे वो तो हमें मिल गया।
मैं बोला- जरूरी था देना, मुँह दिखाई के लिए देना पड़ता है। उसके बाद हमने बहुत सारी बातें की उसकी और मेरे बारे में।
जैसे इतना दिन मैं उसके बिना कैसे रहा वो मेरे बिना कैसे रही। वैसे आग तो दोनों तरफ लगी थी।
तो पहल मैंने की उसके चेहरे को हाथ में लिया और दोनों आँखों को चूमा, उसका शरीर गुलाबी होने लगा था।
उसके बाद उसके होठों पर अपने होंठ रख दिया, कुछ देर होंठो को चुमने के बाद वो खुद जीभ बाहर निकालकर मेरा साथ देने लगी।
जब जीभ से जीभ टकराते थे तो जन्नत का अनुभव होता था। अब दोनों के लार एक दुसरे के मुह में जाने लगे।
बहुत अच्छा लग रहा था! अब हमारे होंठ एक दुसरे से अलग हुए, मैंने उसके कपड़े धीरे -2 उतारने शुरु किये।
सबसे पहले उसकी साड़ी उतारी, उसके बाद उसके खुले अंगों को लगातार चूमने लगा।
सरिता सिस्कारियां लेने लगी- उन्ह! उन्ह! उन्ह! इस्स! इस्स! इस्स! इस्! इस्! उसके बाद धीरे -2 उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा।
ब्लाउज उतारने के बाद उसके अन्दर की ब्रा दिखी, जो कि लाल कलर की थी ब्रा के बाहर से ही उसके उरोंजों को चूमने लगा।
उसकी सिसकियाँ बढ़ने लगी- उन्ह! उन्ह! इस्स! इस्स! इस्स! इस्स! इस्! अब बारी थी, उसके पेटीकोट की उसके पेटीकोट का नाड़ा जैसे ही खोलने को हुआ।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे खोलने के लिए मना करने लगी, लेकिन मैं नहीं माना और जबरदस्ती नाड़ा खींच दिया।
अब धीरे-2 पेटीकोट उतारने लगा, सरिता शर्माने लगी और अपने कमर वाली जगह को ढंकने लगी। उसका चेहरा शर्म से गुलाबी होने लगा।
उस समय सरिता लाल पेंटी और लाल ब्रा में बिलकुल बला जैसी खुबसुरत लग रही थी। वो अपना पूरा अंग छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया, और उसे बेतहासा चूमने लगा। जहाँ मै चूमता जाता उस जगह लाल लाल चकत्ते पड़ने लगे।
अब सरिता गर्म होने लगी, और गर्म-2 सांसे लेने लगी। उसके मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगी- इस्स! इस्स! इस्स!
जैसे ही, मैं किसी जगह को चूमता इस्स! की आवाज आती, उसके ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को चूमने और चूसने लगा।
उसकी कामुक आवाजें और तेज हो गयी। इस्! इस! इस्स! इस्सस! उसके ब्रा को खोलने लगा, तो सरिता मना करने लगी।
हालांकि, मैं कहाँ मानने वाला था उसे उठा कर बिठाया, और ब्रा के हुक को खोलने लगा।
ब्रा का हुक खोलते ही मैं उसके बूब्स देख कर दंग रह गया। इतना गोरा आप बिस्वास नहीं करोगे।
मेरे मुंह में पानी आ गया और मैं उसे देखता ही रह गया, मेरा हाथ अपने आप उसके ऊपर रेंगने लगे, पहली बार बूब्स गदराया हुआ बूब्स देखा था।
इतना मुलायम था कि उसके सामने रुई की नरमी भी बेकार थी, उत्तेजना के मारे उसका टिप कड़ा और गुलाबी कलर का हो गया था।
उसे मुँह में लेकर चूसने लगा, सरिता का बुरा हाल होने लगा। वो जोर-2 से सिस्याने लगी- इस्स! इस्स! इस्स्! उसके बाद चुमते हुए निचे आने लगा।
उसकी पेंटी के पास आया, उसकी कामरस की खूशबू पाकर मेरा मन खुश हो गया।
नारियल जैसी, खुशबू मेरी उत्तेजना और बेसब्री को बढ़ा रही थी। अब मैं बाहर से ही उसके योनि को चूमने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तों! उसकी योनि के रस से उसकी पेंटी भीग गयी थी, ऊपर से ही उसके कामरस का आनंद लेने लगा।
मेरे सब्र का बांध टूट रहा था, जितनी बार उसे चूमता उतनी बार उसका शरीर अकड़ने लगता।
सरिता जोर से सिसकी लेती और बस यही बोलती- इस्स! इस्स! इस्स! प्लीज् ऐसा मत करो! प्लीज ऐसा मत करो!
उसके रिक्वेस्ट में इंकार से ज्यादा स्वीकृति थी, मुझे उसे तड़पाने में बड़ा मजा आ रहा था।
जैसे ही वो बोलती, कि प्लीज ऐसा मत करो, मैं उसके योनि को और जोर से चूम लेता था।
अब मुझसे सब्र नहीं हुआ, और मैं सरिता की पेंटी को उतारने लगा। सरिता ने मना कर दिया, पर मैं भी कहाँ रुकने वाला था।
उस पर दबाव डालकर उतार ही डाला, सरिता शर्म के मारे अपनी योनि को हाथ से ढंकने लगी।
मैंने उसके हाथ को वहाँ से हटाया, सामने का दृश्य देखकर मेरे तो होश ही उड़ गए!
अब मुझे लगा, कि इस दुनिया में हर कोई इसका दीवाना क्यों होता है। जिन्दगी में पहली बार मुझे योनि के दर्शन हो रहे थे।
मैं जी भरकर उसे देखना चाहता था, और उसके किनारे अपनी आँखें गड़ाकर देखने लगा।
एक तो उसकी नारियल पानी जैसी खुशबू ऊपर से ये मनमोहक दृश्य, मुझे मदमस्त करे जा रहे थे।
क्या बताऊँ दोस्तों! ऊपर से दो फांक ही नजर आ रहे थे, जिसमे अभी हल्के-2 भूरे-2 बाल आने शुरू हुए थे। जिन्दगी में पहली बार योनि को छुआ था।
अब मैंने उसकी योनि को चाटना शुरू किया सरिता वैसे भी बेहाल थी, चाटने के बाद तो और बुरा हाल हो गया।
अब तो मेरे सर को और जोर से अपनी योनि पर दबाते हुए और ज्यादा रिक्वेस्ट करने लगी कि -इस्स! इस! इस! इस! प्लीज ऐसा मत करो! वरना मैं मर जाउंगी!
इस्! इस्स! इस्! इस्स्! प्लीज ऐसा मत करो, वरना मैं मर जाऊँगी। मेरे सर को योनि पर दबा भी रही थी और मुझे मना भी कर रही थी।
मुझे और ज्यादा मजा आने लगा, अब तो मैं दुगुने जोश के साथ चाटने लगा।
यहाँ पर मैंने ये सबक लिया, कि सम्भोग के समय लड़की प्यार से जिस काम को करने से मना करे, उसी काम को करो।
मैं लगातार उसकी योनि को चाटे जा रहा था। 10 मिनट लगभग चाटने के बाद, उसकी योनि लाल होकर अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा।
उसके मुँह से अजीब सी आवाज निकली और उसने अपने दोनों जाँघों से मेरे सर को कसकर दबा लिया।
अब उसकी योनि ने नारियल पानी जैसा स्वाद का कुछ तरल पिचकारी के रूप में निकला ,कुछ रस मेरी मुँह के अन्दर चला गया।
चूँकि, कुछ रस मेरे नाक और चेहरे पर छिटका, मैं तो यह देखकर अवाक् रह गया।
सरिता ने आँख बंद करके अपनी साँस रोक लिया था, मैं घबरा गया था। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
सरिता अपने आपको नियंत्रित करने की कोशिश करने लगी और अपने कुल्हे को 8-10 बार उठा-2 कर पूरे रस को निकालने लगी।
अब सरिता कुछ अच्छा महसूस करने लगी, यह देखकर रोमांच के साथ ही साथ मुझे अच्छा लगा।
उसकी योनि से जो रस निकला बिलकुल नारियल की पानी जैसा स्वादिस्ट था।
मैंने उसे पानी देते हुए उससे पूछा, कि ये सब क्या हुआ अचानक आपको?
वो बोली – ये मेरे साथ पहली बार हुआ है, पता नहीं मुझे भी!
मैंने उसे अब पूछा कि – आप ठीक तो हो न, आप बोलो तो आज ये सब नहीं करेंगे?
इस पर उसने जवाब दिया कि- मैं बिलकुल ठीक हूँ, कोई दिक्कत नहीं है आज हमारी सुहागरात है!
इस रात का हम दोनों को बहुत दिन से बेसब्री से इंतज़ार था, आज अगर मुझे कुछ हो भी गया तो आप मत रुकना!
इस रात को मै पूरा जीना चाहती हूँ, क्योंकि ये रात पहली बार आयी है बार-2 नहीं आएगी।
आज की रात आप मुझे सम्भोग करते-2 मार भी डालोगे तो कोई गम नहीं होगा। मैं तो इतना सुनकर अतिखुश हुआ।
मुझे ये जानकर बहुत अच्छा लगा, कि जितनी बेसब्री सम्भोग करने की मुझे थी, वो भी उतनी ही बेसब्र थी।
अब दोबारा सम्भोग के लिए हम तैयार हुए, मैंने फिर फोरप्ले शुरू किया। कुछ देर उसके होंठो से होंठ मिलाकर, उसके मुँह की स्वाद का रसपान किया।
सरिता ने भी मेरा पूरा साथ दिया, उसके बाद उसके स्तन को चूसा कुछ देर तक, फिर उसकी सिसकियाँ शुरू हो गयी।
इस्स! इस्! इस्! इस! इस्! छोडो न ऐसा मत करो! छोडो न ऐसा मत करो प्लीज! फिर भी मैं लगा रहा।
अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था, तो मैंने उसे लेटने के लिए कहा और टांग फ़ैलाने के लिए बोला, फिर उसने वैसा ही किया।
मैंने अपने कपड़े उतारे और उसके योनि के पास अपना लिंग ले जाकर उसे रगड़ने लगा।
दोनों फाँकों के बीच अपने लिंग को रगड़ने में अपना ही मजा होता है। अब थी लिंग महाराज को अन्दर घुसाने की बारी!
लिंग महाराज तो तनकर तैयार थे, अन्दर घुसने के लिए। मैंने उसमे ऊँगली डालकर देखा तो योनि बहुत ही तंग थी।
सरिता की योनि सुखी लग रही थी, तो फिर मैंने फिर कुछ देर के लिए चाटना शुरू किया।
5 मिनट जोर-2 से चाटने के बाद उसमे से लिसलिसा सा कुछ निकलने लगा। अब मैंने अपने लिंग को उसमे घुसाने की कोशिश करने लगा।
एक बार में चिपचिपेपन की वजह से मेरा लिंग फिसल गया तो दोबारा फिर घुसाने लगा, तो अबकी बार थोड़ा सा घूसा ही था।
अचानक! सरिता को दर्द होने लगा, फिर भी मैंने पूरा लिंग अन्दर घुसा ही दिया, धक्के पर धक्का मारने लगा।
सरिता भी पुरे जोश में थी, वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी। नीचे से कुल्हे उठा-2 कर मुझसे रतिक्रिया करने लगी।
कुछ देर धक्के पर धक्का मारने के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा, सरिता का भी शरीर अकड़ने लगा।
मेरे लिंग ने सरिता की योनि में झड़ने का प्रोग्राम बना लिया था।
इतने में ही सरिता ने अपनी योनि में मेरे लिंग को इतना जोर से जकड़ा, कि मुझे लगा सरिता मेरे लिंग को काट कर अपने अन्दर रख लेना चाहती हो,
मेरा लिंग कट जाने जैसा लगा, थोडा दर्द भी हुआ लेकिन उत्तेजना के कारण पता नहीं चला।
अब सरिता ने फिर से वही कार्यक्रम दोहराया, अपने कुल्हे को उठा-2 कर मेरे लिंग को अन्दर और अन्दर लेना चाहा।
8-10 बार कुल्हे उठा-2 कर मेरे वीर्य को पूरी तरह से निचोड़ने लगी, जितना मैं दबाव डालता।
सरिता उतना निचे से कुल्हे को उठाने की कोशिश करती, और ज्यादा से ज्यादा मुझे अपने सिने से और योनि से जकड़ने की कोशिश करती थी।
आख़िरकार उसने दबाव डालना बंद किया, और निढाल हो गयी, मुझ पर उसकी पकड़ ढीली हुयी। हम लोग काफी देर तक एक दुसरे से लिपटे वैसे ही पड़े रहे,
हम दोनों बहुत खुश थे। जिस रात का हमें काफी दिनों से इन्तेजार था वो पूरा हुआ। थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे, और सरिता बाथरूम चली गयी,
तब मैंने गौर किया कि बिस्तर पर जो चददर थी, वो हमारे कामरस और उसके योनि खून के मिश्रण से भीगी हुयी थी।
इसे देखकर मेरी उत्तेजना दोबारा बढ़ने लगी, क्योंकि सरिता ने पहली बार मुझसे ही सम्भोग किया था, मैं अतिखुश हुआ।
उसके बाद सरिता बाथरूम से बाहर निकली तो मैंने उसे वो चददर दिखाया, और उसे धन्यवाद् दिया।
मेरी जिंदगी में आने के लिए, और मेरी जीवन संगीनी बनने के लिए। उस रात हमने 5 बार और सम्भोग किया अलग-2 आसन में।
हालांकि, हर बार सरिता ने वही आनंद दिया, हमारी शादी को 2 साल हो गए।
आज तक जब भी सम्भोग किये, सरिता पहली रात की तरह ही मेरे लिंग को कस कर जकड़ लेती है और हर रात को वही अनुभव होता है।
अब मुझे पता चल गया है सरिता वैसा क्यों करती है। मेरे लिंग को सरिता का जोर से जकड़ना उसका ओर्गस्म है।
जो हर लड़की के साथ होता है, ओर्गस्म का तरीका सबका अलग-2 होता है। कोई रात ऐसी नहीं गुजरी जिसमे हमने सम्भोग नहीं किया हो।
अब हर रात को मुझे लगता है कि मेरा लिंग कट कर सरिता की योनि में न रह जाये।
ये सच्ची घटना आपको कैसी लगी? जरुर बताएं मुझे, ताकि सम्भोग के बारे में मेरे और जो अनुभव हैं, उन्हें आपके साथ शेयर कर सकूँ।
मुझे इस मेल आइ डी पर मेल जरुर करें।
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सुहागरात में सरिता मेरे कमरे में आई तब तो लगा कि उसे पटककर अभी चोद दूँ, फिर मैंने सोचा कि अब यह मेरी ही तो है। मैं अपनी पहली चुदाई में सरिता को जमकर दर्द देना चाहता था, पर सरिता के मेरे लौड़े के दबाने के तरीके से लगा कि मेरा लण्ड काटकर अपनी चूत में रखना चाहती हो और इस दर्द का एहसास मुझे आजतक उसकी चुदाई में महसूस होता है..